हिंदी दिवस प्रतियोगिता, गर्मी के दोहे
"हिंदी दिवस प्रतियोगिता no 19
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गरमी पर दोहे "
देखो सूरज तप रहा ,धरती बनी अँगार।
गरम हवा ऐसे चली , जैसे जले सिगार।।
गर्म हवा चहुँ दिशि चली, सूखे सब तालाब।
जीव जंतु व्याकुल हुए , हुई धरा बेताब।।
गरमी से सब जग मचा, अतिशय हाहाकार।
जीव जंतु मरने लगे , असह्य लू की मार ।।
धरती पर गरमी बढ़ी , जीव जंतु बेहाल।
पानी की चिंता बढ़ी,सूख गए सब ताल।।
जेठ मास का दसतपा,पवन चले झकझोर।
प्यासे बाग ,तड़ाग ,नभ ,प्यासे कोयल मोर।।
कहते आये लोग सब, लाख टके की बात।
जितनी ताती लू चले , उतनी ही बरसात।।
इमरत है इस जगत में , बादल थारो नीर।
गरमी से राहत मिले , बैठ नदी की तीर।।
ठंडा पानी पीजिये , बैठ आम की छाँव।
नदी स्नान को जाइए, बैठ नहाओ नाव।
सुनीता गुप्ता
Gunjan Kamal
22-Sep-2022 02:49 PM
शानदार प्रस्तुति
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Sep-2022 06:20 AM
Wahhhh wahhhh Bahut hi सुन्दर और उम्दा दोहे,,,, outstanding
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Swati chourasia
20-Sep-2022 09:59 PM
वाह बहुत खूब 👌
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